दोस्तों, आज आप सब को ये बताते हुए मुझे बड़ी ख़ुशी हो रही है कि आज मेरे ब्लॉग "लम्हों के मुसाफिर..." को पूरे पांच साल हो गए। यानि आज आपके अपने ब्लॉग का 5वां जन्मदिन है... हुररै...
इन पांच सालों में ये मेरा हमसफ़र कभी कम चला तो कभी ज़्यादा, मगर रुका कभी नहीं। हमेशा मुझे आगे बढ़ते रहने को उत्साहित करता रहता है। एक बार जो आज से पांच साल पहले इसके प्यार में पड़ी कि अब तक निकल ही नहीं पायी। शायद कभी निकलना चाहा ही नहीं और ना ही कभी निकलना चाहूंगी। अब तो, इसके साथ यूँही लम्हा-लम्हा गुज़रते हुए साँसों की डोरी के उस पार जाना है।
इन पांच सालों में मेरे ब्लॉग पर आने वाले देखे-अनदेखे सभी दोस्तों का दिल से शुक्रिया जिन्होंने अपने प्राइसलैस कमेंट्स से ना केवल मुझमें और लिखने का उत्साह भरा बल्कि मेरे इस सफ़र को भी एक अनोखे अपनेपन से गुलज़ार रखा।
तो चलिए, इस खूबसूरत लम्हों के साझेदार बनते हुए कहते हैं
" जन्मदिन मुबारक हो...लम्हों के मुसाफिर..."
तुम हमेशा यूँही कुछ कहते चलो, कुछ सुनते चलो...ये ज़िन्दगी लम्हों का सफ़र है, गुज़रते चलो...
इन पांच सालों में ये मेरा हमसफ़र कभी कम चला तो कभी ज़्यादा, मगर रुका कभी नहीं। हमेशा मुझे आगे बढ़ते रहने को उत्साहित करता रहता है। एक बार जो आज से पांच साल पहले इसके प्यार में पड़ी कि अब तक निकल ही नहीं पायी। शायद कभी निकलना चाहा ही नहीं और ना ही कभी निकलना चाहूंगी। अब तो, इसके साथ यूँही लम्हा-लम्हा गुज़रते हुए साँसों की डोरी के उस पार जाना है।
इन पांच सालों में मेरे ब्लॉग पर आने वाले देखे-अनदेखे सभी दोस्तों का दिल से शुक्रिया जिन्होंने अपने प्राइसलैस कमेंट्स से ना केवल मुझमें और लिखने का उत्साह भरा बल्कि मेरे इस सफ़र को भी एक अनोखे अपनेपन से गुलज़ार रखा।
तो चलिए, इस खूबसूरत लम्हों के साझेदार बनते हुए कहते हैं
" जन्मदिन मुबारक हो...लम्हों के मुसाफिर..."
तुम हमेशा यूँही कुछ कहते चलो, कुछ सुनते चलो...ये ज़िन्दगी लम्हों का सफ़र है, गुज़रते चलो...
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