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सोमवार, 13 अगस्त 2012

ये कैसा ख्वाब....

 आज ना-जाने कैसे तुम्हें, अपने आस -पास महसूस किया।
अपने आस-पास ही नहीं, दिल के नज़दीक महसूस किया ।।
फिर दिल, उन्ही धुंधले ख्वाबों का एल्बम बन गया ।
फिर भीगी पलकों ने, उन हसीं लम्हों को साफ़ किया।। 
 वो लम्हे, तेरी बे-पनाह मोहब्बत वाले ,
वो लम्हे, तेरी सोहबत में कटने वाले....
तेरे जाने से आने तक की घड़ियाँ गिनने वाले ,
वो लम्हे, तेरी कुर्बत में मिटने वाले.....
तुझसे मिलने की दुआ को, खुदा ने जाने कितनी दफा क़ुबूल किया।
पर शायद, किस्मत की लकीरों ने, हमे दूर जाने को मजबूर किया ।।
ये ख़्वाब, किसी किस्मत के ग़ुलाम नहीं,
कोई भी पढ़ ले जिन्हें, ऐसे ये पैग़ाम नहीं....
आँखों में उतर, दिल को सुकूं दे जाते हैं,
फिर चाहे ज़िन्दगी में, मिले इन्हें कोई मकाम नहीं....
आँखें खुली, ख्वाब बिखरे, फिर तुझे अपने से महरूम किया ।
पर तेरे अक्स को, अब भी दिल के आईने में महसूस किया ।।