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सोमवार, 13 अगस्त 2012

ये कैसा ख्वाब....

 आज ना-जाने कैसे तुम्हें, अपने आस -पास महसूस किया।
अपने आस-पास ही नहीं, दिल के नज़दीक महसूस किया ।।
फिर दिल, उन्ही धुंधले ख्वाबों का एल्बम बन गया ।
फिर भीगी पलकों ने, उन हसीं लम्हों को साफ़ किया।। 
 वो लम्हे, तेरी बे-पनाह मोहब्बत वाले ,
वो लम्हे, तेरी सोहबत में कटने वाले....
तेरे जाने से आने तक की घड़ियाँ गिनने वाले ,
वो लम्हे, तेरी कुर्बत में मिटने वाले.....
तुझसे मिलने की दुआ को, खुदा ने जाने कितनी दफा क़ुबूल किया।
पर शायद, किस्मत की लकीरों ने, हमे दूर जाने को मजबूर किया ।।
ये ख़्वाब, किसी किस्मत के ग़ुलाम नहीं,
कोई भी पढ़ ले जिन्हें, ऐसे ये पैग़ाम नहीं....
आँखों में उतर, दिल को सुकूं दे जाते हैं,
फिर चाहे ज़िन्दगी में, मिले इन्हें कोई मकाम नहीं....
आँखें खुली, ख्वाब बिखरे, फिर तुझे अपने से महरूम किया ।
पर तेरे अक्स को, अब भी दिल के आईने में महसूस किया ।।
 




6 टिप्‍पणियां:

  1. तुम्हारे ब्लॉग का लिंक मुझ से खो गया था, आज अचानक याद आया तो फ़ेसबुक पर जाकर ढूँढा...। बड़ी कोमल भावनाएँ उतनी ही खुबसूरती से व्यक्त की है...। मेरी बधाई और शुभकामनाएँ...।
    प्रियंका

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद् प्रियंका...आपका नाम दैनिक जागरण में पुनर्नवा के नए पोस्ट में पढ़ा |
      बहुत ख़ुशी हुई जान के मैं एक अच्छी रचनाकार की मित्र हूँ |
      कविता प्रकाशित करवाने का क्या प्रोसेस है..कृपया मार्गदर्शन कीजिये ..:-)

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  2. यादों से...एहसासों से...ख़्वाबों से भीगी ...बहुत खूबसूरत रचना....

    अनु

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    उत्तर
    1. बहुत शुक्रिया अनु..और अच्छा लगा कि आपको मेरी कविता पसंद आई..:)

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  3. अनुभूति की बेहद खूबसूरत काव्यात्मक अभ्व्यक्ति ............. वाह !
    गहन भाव . बहत बढ़िया.
    मेरी शुभकामनाएं !

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    उत्तर
    1. नमस्कार सर,
      आपके द्वारा की गयी सराहना से मेरा मन हमेशा आह्लादित हो उठता है |
      बहुत बहुत धन्यवाद और अपना दुलार हमेशा मुझ पर बनाये रखियेगा..:-)

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