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मंगलवार, 5 जून 2012

वो मेरे आँगन के बैंगनी फूल...

 आह!! वो मेरे आँगन के बैंगनी फूल...
उन्हें जो देखती हूँ तो,
मन उल्लास से भर जाता है।
मन एक हलकी-सी, नन्ही-सी
अंगडाई ले...
यादों की रजाई ओढ़ लेता है।
मन उन्ही सपनों के रास्ते
निकल पड़ता है....
जहाँ कभी हम एक दूसरे की,
बाहें थामे... कहीं दूर निकल जाते थे ।
और ये बैंगनी फूल हम पे
गिरते हुए जताते थे....
कि वो गवाह हैं, हमारे बीच पनपे...
उस प्यार के...
आँखों में किए हुए...
उन मूक संवादों के वादों के,
जिन्हें चाहकर भी ना तुम- ना मैं
और ना उस फूल को बनाने वाला,
झुठला सकता था ।
शायद, इसीलिए आज भी खिलते हैं...
मेरे घर के आँगन में,
प्यार की वफ़ाएं लिए वो बैंगनी फूल...:)

6 टिप्‍पणियां:

  1. Aaha ...Khubsurat kavita ...Renu sach kaha miles to go aur yun hi khilate raho apne aangan mein Kavitaon ke aise dheron Baingani phool ...!!! All the best !!!!

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    1. Thank u so much Kamlesh..Bas aap jaise Kavya se prem rakhne wale log milte rahen to fir zaoor khilenge aise baigani phool baar baar..:)

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  2. इश्वर करे भरा रहे
    घर आँगन खुशबू से लदा रहे
    खिलखिलाता रहे खिल खिल कर
    सदा सदा यही बैगनी फूल
    एवमस्तु !!

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    उत्तर
    1. Namaste Arun Sir,
      Apka bahut bahut dhanyawad..apke ashirwad ki kami mehsoos ho rahi thi...lagta hai jaise aaj koi achha shagun hua hai..:))

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