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मंगलवार, 23 सितंबर 2014

तुम ही कहो...ऐसा होता है क्या...!!

अब आप सभी दोस्त मेरी कविताओं का लुत्फ़ इस तरीके से उठा सकते हैं।

नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कीजिये और सुनिए मेरी बिलकुल नयी कविता...."तुम ही कहो...ऐसा होता है क्या...!!

यह कविता मेरे दिल के बहुत करीब है। ज़िन्दगी ऐसी ही होती है दोस्तों...इसका ना कोई ठौर है ना कोई ठिकाना। बस कभी इस बस्ती कभी उस शहर। इसको किसी की परवाह नहीं होती...पर दिल बेचारा क्या करे...वो तो बीती यादों के सहारे ही अपने को पुराने गलियों-घरों-दरीचों में तलाशने में लगा रहता है...अब उसे कौन समझाए कि ज़िन्दगी बेवफा है...वो किसी का इंतज़ार नहीं करती...वो तो बस बहती जाती है अपनी रवानी में और पीछे छोडती जाती है यादों का काफिला और दिल बेचारा..
बस इतना ही पूछ पाता है....

घर का पता बदलने से
यादों का पता
बदल जाता है क्या
तुम ही कहो...
ऐसा होता है क्या

तो लीजिये सुनिए मेरी कविता...

http://soundcloud.com/meethi-boliyan/my-poetry-tum-hi-kaho-aisa