Copyright :-

© Renu Mishra, All Rights Reserved

गुरुवार, 15 सितंबर 2011

अपना- पराया....


"ऐसे कितने ही लोग यूँही,
अपनेपन का सा दम भरते हैं ....
पर
दिल पे लगी, नन्ही खरोंच को
बस अपने ही समझते हैं ...

अपने
- वो जो दिल के करीब हैं ,
बिन
कहे ही सब कुछ समझते हैं ...
ग़ैर
- वो जो दिल से निकली बात को
शिकवे
का नाम दिया करते हैं....

कश्ती
साहिल से मिल जाए ,
ऐसा
किस्मत का ही लिखा होता है...
वरना
ज़िन्दगी के तूफानों में ,
साहिल
भी किनारा करते हैं....

मिलने के ज़माने आयेंगे ,
वो
कभी ना कभी मेरा होगा...
दिल
को अपने बहलाने के लिए ,
जाने
कितने ये भरम रखते हैं ....

चाँद
तकता रहा आसमा को,
कब
सितारों की बारात होगी....
कुछ अपनी रौशनी से रोशन होके भी,
नाम चांदनी का ही किया करते हैं....

अपना
- पराया है कौन यहाँ,
कभी पता जो हम करने निकले ....
कभी पराये भी अपने लगते हैं,
कभी अपने ही सौ जख्म करते हैं......"

सोमवार, 5 सितंबर 2011

मन का गीत गा लूं... तो चलूँ.......

 
अपनी राह खुद बना रही हूँ
मंज़िल पा लूं... तो चलूँ
ज़िंदगी के अन कहे नगमे, 
होठों पे सजा लूं... तो चलूँ
मन का गीत गा लूं... तो चलूँ |

तिनका, दाना, शाख- पत्ते ,
मिल गए कुछ लुगदी- लत्ते |
 सहेज रही हूँ उन्हें प्यार से
एक नीड़ बना लूं... तो चलूँ
मन का गीत गा लूं...तो चलूँ |

कैसे हैं अपने -बेगाने से रिश्ते
कुछ अधूरी सी बातें, अधूरे से किस्से |
जज्बातों की गुत्थी सुलझा रही हूँ
अपना- पराया जान लूं...तो चलूँ
मन का गीत गा लूं... तो चलूँ |

देखा कई लोगों को रूप बदले,  
जाना है कितनी इंसानी फितरतें  |
 ज़िन्दगी बहुत कुछ सिखा रही है, 
शुक्रिया मना लूं ...तो चलूँ
  मन का गीत गा लूं... तो चलूँ ......