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गुरुवार, 15 सितंबर 2011

अपना- पराया....


"ऐसे कितने ही लोग यूँही,
अपनेपन का सा दम भरते हैं ....
पर
दिल पे लगी, नन्ही खरोंच को
बस अपने ही समझते हैं ...

अपने
- वो जो दिल के करीब हैं ,
बिन
कहे ही सब कुछ समझते हैं ...
ग़ैर
- वो जो दिल से निकली बात को
शिकवे
का नाम दिया करते हैं....

कश्ती
साहिल से मिल जाए ,
ऐसा
किस्मत का ही लिखा होता है...
वरना
ज़िन्दगी के तूफानों में ,
साहिल
भी किनारा करते हैं....

मिलने के ज़माने आयेंगे ,
वो
कभी ना कभी मेरा होगा...
दिल
को अपने बहलाने के लिए ,
जाने
कितने ये भरम रखते हैं ....

चाँद
तकता रहा आसमा को,
कब
सितारों की बारात होगी....
कुछ अपनी रौशनी से रोशन होके भी,
नाम चांदनी का ही किया करते हैं....

अपना
- पराया है कौन यहाँ,
कभी पता जो हम करने निकले ....
कभी पराये भी अपने लगते हैं,
कभी अपने ही सौ जख्म करते हैं......"

6 टिप्‍पणियां:

  1. चाँद तकता रहा आसमा को,
    कब सितारों की बारात होगी....
    दिल पे लगी, नन्ही खरोंच को भी
    बस अपने ही समझते हैं ...
    अपनी रौशनी से रोशन होके भी,
    नाम चांदनी का ही किया करते हैं....
    .........बहुत ही बेहतरीन . ग़ज़ल की सारी पंक्तियाँ बेहतरीन पिरोई गयी हैं.
    बहुत अच्छा रेणु जी . शुभाशीर्वाद !!

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  2. आदरणीय अरुण सर,
    आप इतनी धीरता के साथ मेरा हर ब्लॉग पोस्ट पढ़ते हैं
    इसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया...बस आप लोगों की प्रेरणा से ही
    मैं कुछ थोडा बहुत लिख पाती हूँ ..:)

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  3. You’ve gone to a lot of effort in researching and writing this article. I share your viewpoints on this topic and appreciate your interesting thoughts.

    जगजीत सिंह आधुनिक गजल गायन की अग्रणी है.एक ऐसा बेहतरीन कलाकार जिसने ग़ज़ल गायकी के सारे अंदाज़ बदल दिए ग़ज़ल को जन जन तक पहुचाया, ऐसा महान गायक आज हमारे बिच नहीं रहा,
    उनके बारे में और अधिक पढ़ें : जगजीत सिंह

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  4. Thanks @Unlucky..:)
    nd I'll definately go through that article...He was my fav. too.

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