कुछ जागी सी
ज़िंदगी मे, गाती सी ज़िंदगी है
तेरे साथ मद्धम
मद्धम, गुनगुनाती-सी ज़िंदगी है।
कुछ रंगों की
बारिशें हैं,
कुछ भीगी सी ख्वाहिशें हैं
अरमानों के सतरंगी
उड़ान पे, इतराती-सी ज़िंदगी है।
साँसों पे दम-ब-दम
पहरा है, वक़्त भी कहीं ठहरा है
धडकनों के मखमली
बिछौने पे, फंतासी-सी ज़िंदगी है।
कुछ रंजिशें हैं
जहान की, कुछ बंदिशें हैं ज़ुबान की
फिर भी तेरे
ज़ुर्रत-ए-इश्क़ से, इठलाती सी ज़िंदगी है।
कुछ मोहलतों की
गुंजाइशें, कुछ सोहबतों की गुज़ारिशें
तुम संग हर लम्हा
ख़र्च करने को छटपटाती-सी ज़िंदगी है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें