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सोमवार, 2 फ़रवरी 2015

**तेरे साथ मद्धम मद्धम**
















        कुछ जागी सी ज़िंदगी मे, गाती सी ज़िंदगी है
तेरे साथ मद्धम मद्धम, गुनगुनाती-सी ज़िंदगी है।

कुछ रंगों की बारिशें हैं, कुछ भीगी सी ख्वाहिशें हैं
अरमानों के सतरंगी उड़ान पे, इतराती-सी ज़िंदगी है।

साँसों पे दम-ब-दम पहरा है, वक़्त भी कहीं ठहरा है
धडकनों के मखमली बिछौने पे, फंतासी-सी ज़िंदगी है। 

कुछ रंजिशें हैं जहान की, कुछ बंदिशें हैं ज़ुबान की
फिर भी तेरे ज़ुर्रत-ए-इश्क़ से, इठलाती सी ज़िंदगी है।

कुछ मोहलतों की गुंजाइशें, कुछ सोहबतों की गुज़ारिशें

तुम संग हर लम्हा ख़र्च करने को छटपटाती-सी ज़िंदगी है।  

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