कल रात बड़ी ख़ामोश थी
उसे बदली के संग लुकते-छिपते देख
सोच रही थी.….
क़ाश !! वो दूर होके भी, मेरे पास रहे
मेरे जज़्बातों का राज़दार रहे।
जी करता था, बस देखती रहूं उसे
इक टक.…
भर लूं अपनी आँखों में और कहूं
कहीं मत जा…
रात बीत जाए तो भी नहीं
बात बीत जाए तो भी नहीं….
और कह दूं…
तू बादलों में छुप जायेगा,
तो भी मेरा रहेगा।.…
जब धुंधला हो खो जायेगा,
तो भी मेरा ही रहेगा ।
तेरे अँधेरों-उजालों की परवाह नहीं
इस मासूम इश्क़ की कोई दवा नहीं।
तेरे उजले अहसासों से,ये दिल लबरेज है.…
तू कोई चाँद नही, कोई रंगरेज़ है ।
जिसने रंग के भिगो दिया है मुझे
अपने कहे-अनकहे दिल की बातों से
जिसने सँवार दिया है मुझे
अपने मदभरी सुरमई रातों से
अब !!
तेरे उजालों से मेरे रात-दिन रोशन रहेंगे
तू मेरा नहीं,फिर भी तुझे अपना कहेंगे
तुझे मंज़ूर हो तो भी
तुझे गुरेज़ हो तो भी। :)
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