ये नयी कविता, सिर्फ तुम्हारे लिए...शायद जुबां से कभी कह न पाऊं-
तुम्हारा प्यार, मेरे लिए...
आकाश में उड़ते पंछी जैसा है
निर्बाध उड़ान, हवा के समान
बिना किसी रोक-टोक के....मैं उड़ती हूँ बेबाक, पर जानती हूँ
मेरा बसेरा कहाँ है ,
मेरा सवेरा कहाँ है।
तुम्हारा प्यार, मेरे लिए...
उस पतंग जैसा नहीं,
जिसकी डोर,
कोई और थामे होता है...
अपने हिसाब से तोड़ता-मोड़ता है।
तुम्हारा प्यार, मेरे लिए...
उस पूजा की घंटी जैसी है,
जो कभी भी बजती है तो....
कानों में अमृत घोल देती है,
जो बिना इश्वर को रिझाये....
अपना तारतम्य नहीं तोडती।
तुम्हारा प्यार,मेरे लिए.....
उन रजनी-गंधा के फूलों जैसी है,
जो रात में अपनी खुश्बू से....
मेरे ख्वाबों को महकाती है,
तो सुबह को सिरहाने के पास....
बीते रात की,याद दिला जाती है।
तुम्हारा प्यार, मेरे लिए.....
उन कांच की चूड़ियों जैसा है,
जिनके रंग कभी-भी....
हलके नहीं पड़ते,
जिनकी छन-छन कभी अपनी....
मधुरता नहीं खोती।
तुम्हारा प्यार, मेरे लिए.....
उस सागर की गहराई जैसा है,
जिसका अंदाज़ा किनारे खड़े होके
कभी नहीं होगा,
तुम्हारे प्यार में डूब के उतरना ही...
मेरा नसीब होगा।
तुम्हारा प्यार, मेरे लिए.....
उस इन्द्र-धनुष के जैसा है,
जो चिल-चिली धूप में....
बिन मौसम बरसात-सा हैं,
उदासी से भरे चेहरे पर....
हलकी सी मुस्कान -सा है।
तुम्हारा प्यार, मेरे लिए.....
क्या बताऊँ कैसा कैसा है???
रात के बाद, सवेरा सा है....
धूप में छाँव घनेरा सा है....
पलकों पे ढुलक आये....
प्यार के मोती सा है...
मेरे जीवन को जो रोशन करे....
उस प्रीत की ज्योति सा है।
तुम्हारा प्यार, मेरे लिए...
आकाश में उड़ते पंछी जैसा है
निर्बाध उड़ान, हवा के समान
बिना किसी रोक-टोक के....मैं उड़ती हूँ बेबाक, पर जानती हूँ
मेरा बसेरा कहाँ है ,
मेरा सवेरा कहाँ है।
तुम्हारा प्यार, मेरे लिए...
उस पतंग जैसा नहीं,
जिसकी डोर,
कोई और थामे होता है...
अपने हिसाब से तोड़ता-मोड़ता है।
तुम्हारा प्यार, मेरे लिए...
उस पूजा की घंटी जैसी है,
जो कभी भी बजती है तो....
कानों में अमृत घोल देती है,
जो बिना इश्वर को रिझाये....
अपना तारतम्य नहीं तोडती।
तुम्हारा प्यार,मेरे लिए.....
उन रजनी-गंधा के फूलों जैसी है,
जो रात में अपनी खुश्बू से....
मेरे ख्वाबों को महकाती है,
तो सुबह को सिरहाने के पास....
बीते रात की,याद दिला जाती है।
तुम्हारा प्यार, मेरे लिए.....
उन कांच की चूड़ियों जैसा है,
जिनके रंग कभी-भी....
हलके नहीं पड़ते,
जिनकी छन-छन कभी अपनी....
मधुरता नहीं खोती।
तुम्हारा प्यार, मेरे लिए.....
उस सागर की गहराई जैसा है,
जिसका अंदाज़ा किनारे खड़े होके
कभी नहीं होगा,
तुम्हारे प्यार में डूब के उतरना ही...
मेरा नसीब होगा।
तुम्हारा प्यार, मेरे लिए.....
उस इन्द्र-धनुष के जैसा है,
जो चिल-चिली धूप में....
बिन मौसम बरसात-सा हैं,
उदासी से भरे चेहरे पर....
हलकी सी मुस्कान -सा है।
तुम्हारा प्यार, मेरे लिए.....
क्या बताऊँ कैसा कैसा है???
रात के बाद, सवेरा सा है....
धूप में छाँव घनेरा सा है....
पलकों पे ढुलक आये....
प्यार के मोती सा है...
मेरे जीवन को जो रोशन करे....
उस प्रीत की ज्योति सा है।
hmm beautiful di. Almost surreal. Wish i would know love like this in my life !!!!
जवाब देंहटाएंthank u so much Mandy n definitly u'll
हटाएंwith this one i have officially joined your fan club.
जवाब देंहटाएंvery nicely you have captured all the feelings one can feel in unconditional love.
hey thank u so much Saurabh..then wht r u waiting for..plz join..mujhe achha lagega..:)
हटाएं:))
जवाब देंहटाएंThanks..:))
हटाएं