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सोमवार, 18 अप्रैल 2011

मेरे जाने के बाद.....


मेरे पिया......
तुम्हें क्या याद रह जायेगा, मेरे जाने के बाद......
वो चेहरे कि रंगत, या उससे छलकती हंसी
वो
होंठों का फड़कना, या उसकी चहकती ख़ुशी
तुम्हें क्या याद रह जायेगा, मेरे जाने के बाद......
इक झलक पाने कि ललक में, नज़रों की शोखी
या
उन कदमों की छनक, जो तुम तक के रुकी
तुम्हें क्या याद रह जायेगा, मेरे जाने के बाद......
मेरा कहना या मेरा सुनना, या मेरी कैफियत
मेरे
हँसते हुए गालों के भंवर, या मेरी मासूमियत
दुनिया को क्या याद रह जायेगा, मेरे जाने के बाद.....
मेरा नाम, मेरी पहचान, या मेरी शख्सियत
मेरा
हौसला, मेरी बुलंदी, या मेरी हैसियत
तुम्हें क्या याद रह जायेगा, मेरे जाने के बाद.....
और कुछ नहीं, बस तुमसे इतनी सी गुज़ारिश है
जो
मेरा रहा, उस दिल की इतनी सी ख्वाहिश है
मेरे जाने के बाद भी, मुझे दिल में बसाए रखना...
मेरी यादों से भरे इस ख़त को, सीने से लगाये रखना
बस
इतना याद रखना, मेरे जाने के बाद......








3 टिप्‍पणियां:

  1. मर्मस्पर्शी रचना.
    बहुत ही खूबसूरत शब्दों में गहन भावों को अत्यंत ही खूबसूरती से पिरोया है रेणु जी आपने.
    लिखती रहिये...
    मेरी शुभकामनाएं.

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  2. Aap jaise Guni-jano ki sarahna hi mujhe aur achha likhne ke liye badhya karta hai...bahut bahut dhanyawad.
    Asha arti hoon aap aise hi mera utsahvardhan karte rahenge..aur ek baat..aap hindi font me comment kaise post karte hain??

    जवाब देंहटाएं
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